Delhi Demolition News 2025: दिल्ली की इन कॉलोनियों पर चलेगा बुलडोजर, लिस्ट में है क्या आपका इलाका? जानिए पूरी डिटेल

दिल्ली में एक बार फिर अवैध कॉलोनियों को लेकर बड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है। दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और नगर निगम ने राजधानी की कई बस्तियों में नोटिस जारी कर दिए हैं और 15 दिनों के भीतर मकान खाली करने का आदेश दिया गया है। इससे हजारों परिवारों में डर और बेचैनी का माहौल है।

दिल्ली में करीब 1,797 अवैध कॉलोनियां हैं जिनमें लाखों लोग सालों से रह रहे हैं। हालांकि इनमें से 1,731 कॉलोनियों को सरकार ने पहचान दी है, लेकिन नियमितीकरण की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है। अब सरकार मास्टर प्लान और पर्यावरण सुरक्षा के नाम पर कुछ कॉलोनियों को हटाने की तैयारी कर रही है।

क्या है अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई का कारण

दिल्ली की बढ़ती आबादी और रहने की कमी के चलते बीते दशकों में कई बस्तियां बिना सरकारी मंजूरी के बन गईं। इनमें न सीवर की सुविधा है, न पक्की सड़कें और न ही वैध बिजली कनेक्शन। खासकर यमुना किनारे की बस्तियां पर्यावरण के लिए खतरनाक मानी जाती हैं क्योंकि वहां से गंदा पानी सीधे नदी में जाता है।

सरकार का तर्क है कि शहर के मास्टर प्लान को लागू करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए इन अवैध निर्माणों को हटाना जरूरी है। कोर्ट के आदेश और पर्यावरण कानूनों का हवाला देते हुए बुलडोजर चलाने की तैयारी की जा रही है।

किन कॉलोनियों में हो सकती है कार्रवाई

हाल ही में जिन इलाकों में DDA और MCD ने नोटिस चिपकाए हैं, वे कॉलोनियां इस प्रकार हैं:

  • श्रम विहार, दक्षिण दिल्ली
  • बटला हाउस और जहीर नगर, ओखला
  • जसोला एक्सटेंशन, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली
  • संगम विहार, दक्षिण दिल्ली
  • किराड़ी और नांगलोई, पश्चिमी दिल्ली
  • बदरपुर और जेतपुर, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली
  • अम्बेडकर कॉलोनी, छतरपुर
  • मजनू का टीला, उत्तर दिल्ली
  • जंगपुरा, कालिंदी कॉलोनी के आसपास के क्षेत्र

इसके अलावा, जहांगीरपुरी, तुगलकाबाद किला क्षेत्र, और यमुना किनारे की कई बस्तियां भी खतरे में हैं।

कोर्ट का क्या है रुख

बटला हाउस के निवासियों ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने अपील की कि बिना पर्याप्त नोटिस और सुनवाई के उन्हें घर से न निकाला जाए। कोर्ट ने साफ किया कि जिन घरों को PM-UDAY योजना के तहत पहचान नहीं मिली है, उन्हें हटाया जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने 15 दिन की नोटिस अवधि का पालन अनिवार्य बताया है। फिलहाल कोर्ट ने कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन सुनवाई की अगली तारीख जरूर तय की है।

PM-UDAY योजना का क्या है रोल

2019 में शुरू हुई PM-UDAY योजना का मकसद था दिल्ली की 1,731 अवैध कॉलोनियों को वैध बनाना। इसके तहत लोगों को मालिकाना हक मिलने की प्रक्रिया शुरू हुई। लाखों लोगों ने आवेदन भी किए, लेकिन कई कॉलोनियां अब भी इस योजना से बाहर हैं, जिनमें श्रम विहार, बटला हाउस के कुछ हिस्से जैसे इलाके शामिल हैं।

संसद में हाल ही में एक बिल पास हुआ है जिसके तहत दिसंबर 2026 तक उन कॉलोनियों में Demolition नहीं होगी जिन्हें पहचान मिल चुकी है। लेकिन जिन बस्तियों को अब तक कोई वैध दर्जा नहीं मिला, उन पर कार्रवाई जारी रह सकती है।

सामाजिक और मानवीय चिंता

  • हजारों परिवार बेघर होने की कगार पर हैं
  • बच्चों की पढ़ाई और महिलाओं की सुरक्षा पर असर
  • छोटे दुकानदारों की रोजी-रोटी पर संकट
  • कानूनी लड़ाई का खर्च और मानसिक तनाव

लोगों की मांग है कि यदि सरकार Demolition करती है, तो पहले पुनर्वास की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही अमीर लोगों की अवैध कॉलोनियों पर भी समान कार्रवाई हो ताकि कानून का एक जैसा पालन हो।

सरकार का पक्ष

सरकार का कहना है कि वह गरीबों के खिलाफ नहीं है। लेकिन शहर के विकास, ट्रैफिक मैनेजमेंट, मास्टर प्लान और पर्यावरण सुरक्षा के लिए अवैध निर्माण को हटाना जरूरी है। सरकार ने यह भी वादा किया है कि जिन कॉलोनियों को पहचान मिल चुकी है, उन्हें जल्द से जल्द नियमित किया जाएगा।

कानूनी आधार

  • DDA और MCD को DDA एक्ट के तहत कार्रवाई का अधिकार है
  • पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत नदी किनारे की अवैध बस्तियों पर कार्रवाई जरूरी है
  • कोर्ट के आदेश अनुसार, नोटिस देना जरूरी है लेकिन Demolition पर रोक नहीं है

आगे क्या हो सकता है

  • पहचान मिली कॉलोनियों को 2026 तक राहत
  • PM-UDAY योजना की प्रक्रिया तेज होगी
  • जिन्होंने आवेदन नहीं किया, उनके लिए खतरा बरकरार
  • बुलडोजर कार्रवाई से पहले राजनीतिक बयानबाजी और कोर्ट केस बढ़ सकते हैं

निष्कर्ष

दिल्ली की अवैध कॉलोनियों का मुद्दा बेहद संवेदनशील और जटिल है। एक तरफ पर्यावरण और विकास की जरूरत है, तो दूसरी तरफ लाखों लोगों का जीवन और आशियाना दांव पर है। सरकार को विकास और मानवता के बीच संतुलन बनाकर आगे बढ़ना होगा। फिलहाल अगर आपकी कॉलोनी को पहचान मिली है, तो 2026 तक राहत है। लेकिन यदि नहीं मिली, तो जल्द ही PM-UDAY के तहत आवेदन करें और नोटिस से पहले अपनी स्थिति को मजबूत करें।

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